काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा - भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म
प्राय: सभी देशों की सरकारों का एक रोना साझा है. और वो भी अति भयंकर रोना! देश की अर्थ व्यवस्था में कला धन. यह काला धन बहुत से देशों को, बहुत सी सरकारों को बहुत रुलाता है. और बुद्धिजीवी वर्ग को अत्यंत चिंतित करता है. अर्थशास्त्रियों की नाक में दम करके रखता है. रोज नए नए सुझाव दिए जाते हैं, विचार किए जाते हैं कि किस तरह इस काले धन पर रोक लगाई जाए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तो छापों में विश्वास रखता है, जहाँ कहीं सुंघनी मिली नहीं कि पहुँच गए दस्ता लेकर. अजी! काले धन की बात तो छोड़िए! नोटों को लेकर इससे भी बड़ी समस्या का सामना कई देशों को करना पड़ता है, और वो है नकली नोटों की समस्या. दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करना हो याँ बेहाल करना हो, प्रिंटिंग प्रेस में दूसरे देश के नोट हूबहू छापिए और पार्सल कर दीजिए उस देश में. बस फ़िर क्या है - बिना पैसों के तमाशा देखिए उस देश का. अब तो उस देश की पुलिस भी परेशान. गुप्तचर संस्थाएं भी परेशान और सरकार भी परेशान! नकली नोट कहां कहाँ से ढ़ूंढ़े और किस जतन से? बड़ी मुश्किल में सरकार.
बचपन से छ्लाँग लगाकर जब हमने भी होश सँभाला तो आए दिन काले धन की बातें पढ़कर, सुनकर, और नकली नोटों की बातें अखबारों में पढ़कर और टी.वी. में देख सुनकर, सरकारों की, अर्थशास्त्रियों की चिंता देख सुनकर हमें भी चिंता सताने लगी. लेकिन हमारे हाथ में तो कुछ है नही जो कुछ कर सकें. बस कुछ बुद्धिजीवियों के बीच बैठकर चाय-पानी या खाने के समय लोगों से चर्चा कर ली. अपनी बात कह दी और दूसरे की सुन ली और हो गई अपने कर्तव्य की इतिश्री. लेकिन नहीं यार! अपने में देश-भक्ति का कुछ बडा़ ही कीडा़ है. सो लग गए चिंता में. भले सरकार को हो या ना हो, देशभक्त को ज़रूर चिंता करनी चाहिए और वो भी जरूरत से ज़्यादा. भले अर्थशास्त्री बेफ़िकर हो गए हों! लेकिन नहीं, अपन को तो देश की चिंता है, काले धन की भी और नकली नोटों की भी. लेकिन किया तो किया क्या जाए. दिन रात इसी चिंता में रहते. चिंता में रहते रहते रात में स्वप्न भी इसी विषय पर आने लगे. कल तो हद ही हो गई. एक ऐसा स्वप्न आया कि क्या बताऊँ! पूरे विश्व से कालेधन और नकली नोटों की समस्या जैसे जड़ से ही खत्म हो गई और साथ में भ्रष्टाचार भी समाप्त. आप आश्चर्य करेंगे ऐसा कैसे? आइये विस्तार से बताता हूँ क्या स्वप्न देखा मैने -
मैने देखा कि विश्व की सभी सरकारें इस विषय पर एकमत हो गईं हैं. और सबने मिलकर एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और निर्णय यह कि सभी सरकारें ’करेंसी’ को - सभी छोटे, बड़े नोटों को, सभी पैसों को पूरी तरह से अपने सभी देशवासियों / नागरिकों से वापिस लेकर पूरी तरह से नष्ट कर देंगी. और किसी प्रकार के कोई नोट यां करेंसी छापने की भी बिलकुल जरूरत ही नही है. जिसने जितनी भी रकम सरकार को सौंपी है उसके बदले - एक ऐसा सरकारी मनी कार्ड उनको दिया जायेगा जिसमें उनकी रकम अंकित कर दी जायेगी. सभी नागरिकों को इस मनी कार्ड के साथ साथ एक ऐसा ’डिस्प्ले’ भी दिया जायेगा जिसमें कोई भी जब चाहे अपनी उपलब्ध रकम (धनराशि) देख सकता है एवं अपनी रकम का जितना हिस्सा जिसको चाहे ट्रांसफर कर सकता है. भविष्य में सभी नागरिकों का भले वह व्यवसायी हो, नौकर हो, कर्मचारी हो, अधिकारी हो, मजदूर हो, सर्विस करता हो, बिल्डर हो, कांट्रैक्टर हो, कारीगर हो, सब्जी बेचने वाल हो, माली हो, धोबी हो, दुकानदार हो, यां जो कुछ भी करता हो, यां भले ही बेरोजगार हो, सभी प्रकार का लेन देन उस एक कार्ड के द्वारा ही होगा. पैसों का, नोटों का लेन देन बिलकुल बंद! नोट बाजार में हैं ही नहीं! बस सबके पास एक सरकारी मनी कार्ड!!
भारत सरकार जो अमूनान चुप्पी साध लेती है यां जो कई काम भगवान के भरोसे छोड़ देती है यां जो सबसे बाद में किसी भी चीज को, नियम को यां कानून को कार्यान्वित करती है. लेकिन, इस मामले में तो भारत सरकार ने इतनी मुस्तैदी दिखाई कि पूछिये मत! पता नही कि काले धन से सरकार खूब ज्यादा ही परेशान थी, यां नकली नोटों के भयंकर दैत्याकार खौफ से यां फिर उन राज्नीतिज्ञों से जिन्होंने स्विस बैंकों में अरबों करोड़ रुपये काले धन के रूप में जमा कर रखे हैं. खैर बात जो भी हो, भारत सरकार ने तुरंत आनन फानन में कैबिनेट की मीटिंग की! निर्णय लिया. और संसद में पेश कर दिया! और पास भी करा लिया. कानून बना दिया. निलेकर्णी को बुलाया और निर्देश किया कि जो पहचान पत्र आप देश के सभी नागरिकों को बनाकर देने वाले हो - जिसमें व्यक्तिगत पहचान होगी, घर का, आफिस का पता होगा, फोटो होगी, बर्थ डेट, ब्लडग्रुप एवं अन्य सभी जरूरी जानकारी होगी उसी में यह सरकारी मनी कार्ड भी हो. अब यह नागरिकों के लिये सरकारी पहचान पत्र ही नही बल्कि ’सरकारी पहचान पत्र कम मनी कार्ड’ होना चाहिये. सभी की धनराशि सिर्फ अंकों में (यां रुपयों में) दिखाई जायेगी और देश भर में सभी ट्रांजैक्शन और लेन देन - चाहे वह एक रुपये का हो यां करोड़ों का! प्रत्येक नागरिक द्वारा इसी के द्वारा किया जायेगा. हर एक नागरिक को इस कार्ड के साथ साथ एक डिस्प्ले भी दिया जायेगा. जिसमें वह जब चाहे अपनी जमा धन राशि देख सकता है और इसके द्वारा जमा धनराशि में से जिसके नाम पर, जब चाहे, जितनी भी चाहे धनराशि ट्रांसफर कर सकता है. निलेकर्णी जी तो अपनी टीम के साथ पहले ही तैयार बैठे थे. यह एजेंडा भी उसमें जोड़ दिया गया. अगले तीन वर्षों में यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार हो गया. सरकार ने नोटिस निकाल दिये. सभी अखबारों में, टी वी चैनलों में, हर जगह. लोग अपनी सारी धनराशि/ कैश अपने बैंक अकाउंट में जमा कर दें - भले ही देश भर में आपके कितने ही अकाउंट हों सभी की धनराशि जोड़कर उस सरकारी क्रेडिट कार्ड में इंगित कर दी जायेगी. तीन महीनों के अंदर देश भर में यह व्यवस्था लागू हो गई. सभी को ’सरकारी पहचान पत्र कम मनी कार्ड’ दे दिये गये.
सुबह धोबी मेरे पास आया और मैने क्रेडिट कार्ड से डिस्प्ले में डालकर दस रुपये उसके नाम पर ट्रांसफर कर दिये. थोड़ी देर में दूधवाला आया मैने अपने कार्ड से उसके कार्ड में 24 रुपये ट्रांसफर कर दिये. मेरी पत्नी हाउसवाइफ (ग्रहणी) है. उसने कहा मार्केट जाना है कुछ पैसे दो! मैने अपने कार्ड से उसके कार्ड में 2 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिये. मार्केट जाकर उसने सब्जी खरीदी और सब्जी वाले के कार्ड में 240 रुपये ट्रांसफर कर दिये. कुछ मिठाइयां हलवाई के यहां से खरीदीं और 430 रुपये उस दुकान वाले के कार्ड में ट्रांसफर कर दिये. मार्केट में उसने कुछ कपड़े बच्चों के लिये खरीदे और 615 रुपये उसने दुकान के कार्ड में ट्रांसफर कर दिये. ’किराने’ की दुकान से उसने कुछ राशन खरीदा और 315 रुपये उसने उस राशन वाली दुकान के कार्ड में ट्रांसफर कर दिये. कहीं कोई कैश / नकदी का लेन देन नही हुआ. जरूरत ही नही पड़ी. कैश में लेने देन हो ही नही सकता था, अब किसी के हाथ में कोई कैश, रुपया, नोट यां पैसा हो, तब ना! सब तो सरकार ने लेकर नष्ट कर दिये. करेंसी की प्रिंटिंग बिलकुल बंद जो कर दी. मेरा दस वर्ष का बेटा मेरे पास आया और कुछ पैसे मांगे मैने अपने कार्ड से 100 रुपये उसके कार्ड में ट्रांसफर कर दिये.
महीने के अंत में मेरी गाड़ी धोने वाला आया, बर्तन मांजने वाली बाई आयी, घर का काम करने वाली बाई आयी. सबके कार्ड में मैने अपने कार्ड से जरूरत के हिसाब से धनराशि ट्रांसफर कर दी. महीने की शुरुआत होते ही मेरे कार्ड में अपने बैंक में दिये निर्देश के अनुसार मेरी तनख्वाह (सेलरी) में से आवश्यक धनराशि मेरे कार्ड में ट्रांसफर हो गई. बैंक में जाकर पैसे निकलवाने की जरुरत ही नही पड़ी. सारे कार्य यह पहचान पत्र कम मनी कार्ड कर रहा है. और आप चाहें तो भी कैश आप निकलवा ही नही सकते, धनराशि को सिर्फ ट्रांसफर करवा सकते हैं क्योंकि बैंक वालों के पास भी रुपये, नोट हैं ही नहीं. उनके पास भी केवल अंकों में रुपये हैं. आप जितने चाहें फिक्स्ड डिपोजिट करवायें जितने चाहें कार्ड में ट्रांसफर करवायें. हर व्यक्ति को एक ही कार्ड. कार्ड यां डिस्प्ले में कोई तकनीकी खराबी आई तो बस एक फोन किया और आपको दूसरा कार्ड यां डिस्प्ले मुफ्त में दे दिया जायेया.
मुझे घर खरीदना था. बिल्डर से देख कर घर पसंद किया 20 लाख का था. मेरे पास बैंक में जमा धनराशि 5 लाख थी 15 लाख बैंक से लोन लेना है. सारे काम बस उसी पुराने तरी के से हुये, पेपर वगैरह तैयार हुये और बैंक से लोन मिल गया. बिल्डर के कार्ड में 15 लाख बैंक से और मेरे कार्ड/अकांउट से 5 लाख ट्रांसफर हो गये. स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन और अन्य ट्रांसफर चार्जेस सभी कुछ कार्ड से कार्ड के द्वारा ट्रांसफर हुआ. कहीं कोई बलैक मनी न उपजी, न बिखरी, न फैली. अरे यह क्या मुझे तो कोई अंडर टेबल, यां चाय पानी के लिये भी कहीं कुछ पैसा देना नही पड़ा. न ही किसी ने कुछ मांगा. अरे कोई मांगे तो भला कैसे? कैश तो है नही किसी के पास. कार्ड में ट्रांसफर करवायेगा तो मरेगा. संभव ही नही है. क्या बात है! लगता है भ्रष्टाचार भी खत्म होने को है.
प्राइवेट एवं सरकारी कंपनियों एवं उद्यमों को भी इसी प्रकार कार्ड जारी किये गये. जो काम जैसा चल रहा था, वैसा ही चलने दिया गया. बस सभी ट्रांसैक्शन (पैसे का लेन देन) एक कार्ड से दूसरे कार्ड पर होने लगा. शाम को आफिस से बाहर आया तो देखा कांट्रैक्टर मजदूरों को उनकी दिहाड़ी का पैसा उनके कार्ड में ट्रांसफर कर रहा था और बिना कम किये यां गलती के. अरे एक गलती भी भारी पड़ सकती है.
मुझे विदेश जाना था, पासपोर्ट वीजा से लेकर धन परिवर्तन (मनी एक्स्चेंज) सभी कुछ कार्ड में धनराशि के ट्रांसफर द्वारा ही किया गया. विदेश जाने पर वहां की जितनी करेंसी मुझे चाहिये थी अपने कार्ड पर ही मुझे परिवर्तित कर दी गई. वहां पर भी हर जगह बस कार्ड पर ही ट्रांसफर हो रहा था. कहीं कोई परेशानी नही हुई.
किसानों को उनके उत्पाद की पूरी धनराशि बिना किसी कटौती के मिलनी शुरू हो गई. किसान भाई बहुत खुश हुये. सरकारी आफिसों से भी लोग बहुत खुश हो गये, कहीं कोई अपना हिस्सा ही नही मांग रहा. मांगे तो कार्ड में ट्रांसफर करवाना पड़े और करवाये तो तुरंत रिकार्ड में आ जाये, पकड़ा जाये. संभव ही नही है.
सारे काले धन की समस्या! सारे नकली नोटों की समस्या, सब की सब एक झटके में तो ख्त्म हुई हीं. भ्रष्टाचार का भी नामों निशान न रहा. मैने चैन की सांस ली. चलो इस देश-भक्त की चिंता तो खत्म हुई. रुपयों से संबंधित सारी समस्याएं किस तरह एक झटके में हमेशा के लिये समाप्त हो गयीं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की सरदर्दी तो बिलकुल ही खत्म हो गई. सारे ट्रांसैक्शन वह बहुत ही आसानी से ट्रेस कर पा रहे थे. यहां तक कि उनके अपने लोग गऊ बन गये थे. पुलिस की हजारों हजार दिक्कतें एक झटके में सुलझ गई थीं. हर केस को अब वह आसानी से सुलझा पा रहे थे. हर ट्रांसैक्शन अब उनकी नजर में था. अपराधियों को पकड़ना बहुत ही सरल हो गया था. अपराध अपने आप कम से कम होते गये और न के बराबर रह गये. पुलिस के अपने लोग किसी प्रकार की गलत ट्रांसैक्शन कर ही नही सकते थे, कर ही नही पा रहे थे. सबके सब दूध के धुले हो गये. यां कहिये होना पड़ा. आदमी खुद साफ हो तो उसे लगता है सारी दुनिया साफ होनी चाहिये. जब वह खुद कुछ गलत नही कर सकते थे, तो साफ हो गये, जब खुद साफ हो गये तो समाज को साफ करने लग गये. बहुत जल्द परिणाम सामने थे. ट्रैफिक पुलिस वाले अब अपनी जेबें गरम करने के बजाय सिर्फ कानून यां सरकार की जेब ही गरम कर सकते थे.
देश में भ्रष्टाचार पूरी तरह से बंद हो चुका था. न्याय व्यवस्था जोकि पूरी तरह से चरमरा गई थी! पुनर्जीवित हो उठी. सभी अधिकारी, पुलिस, नेता, जज, सरकारी कर्मचारी, सबके अकांउट्स क्रिस्टल क्लियर हो गये. रह गई तो बस केवल सुशासन व्यवस्था. यह तो सच ही अपने आप में राम राज्य हो गया. गांधी का सपना सच हो गया.
मैं बहुत खुश हुआ. हंसते हंसते नींद खुली! अखबार में नोटिस ढ़ूंढ़ने लगा. कहीं नहीं मिला. फिर याद आया कि अरे यह तो तीन साल बाद होने वाला है. तो आइये, हम सभी मिल कर तीन साल बाद भारत सरकार द्वारा आने वाले इस नोटिस का इंतजार करें.
कवि कुलवंत सिंह
Friday, January 28, 2011
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3 comments:
कवि कुलवंत सिंह जी बहुत सुंदर सपना, वेसे हम यही कार्ड करीब २० साल से अपने काम मे ला रहे हे, ओर इन बीस सालो मे बेंक मे एक दो बार ही गया होऊगां, यानि हमारा क्रेडिट कार्ड.
अगर यह स्कीम जेसी की आप ने लिखी हे पुरे भारत मे चल जाये तो भी यह नेता कोई रास्ता निकल ही लेगे घाटोले का
वीर जी बहुत ही वधिया आलेख
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