31. देखी है इबादत जब
देखना है हमको
उसका तो करिश्मा अब .
32. मिलती है खुशी ऐसे
मिलकर अपनों से
मिसरी हो घुली जैसे .
33. दिलबर हैं मेरे आते
जा के ले आऊँ मैं
धुन गीत मधुर गाते .
34. विस्मित कर दूँ उनको
हो के खुशी पागल
लिपटा लेंगे वह मुझको .
35. चाहो जो मिलें खुशियाँ
दुख न किसी को दो
बाँटो हर पल खुशियाँ .
36. बरखा ऋतु फिर आई
जीवन में सबके
है ले के बहार आई .
37. मेघा हैं घने छाये
नीर बहा छम – छम
मिट ताप धरा जाये .
38. है चांद खिला पूनम
आग लगी शीतल
साजन बिन आँखे नम .
39. हैं फूल खिले गुलशन
संग कली गाये
मुस्कान धरा हर जन .
40. झोंका है हवा आया
गाँव की मिट्टी की
खुशबू भर के लाया .
41. है चांद घिरा बादल
लुक छिप है खेले
पल देख के हो ओझल .
42. सोंधी खुशबू मिट्टी
फूल खिले मन में
साजन की मिली चिट्ठी .
43. क्यों रूठ गया चंदा
राज कहूँ किससे
है टूट गई तंद्रा .
44. सहरा है बना गुलशन
इक थी यहाँ बस्ती
उजड़ा है हुआ हर मन .
45. घनघोर चली आँधी
तरु हैं लगे गिरने
लो देख लो बरबादी .
46. आया है दशहरा फिर
रावण मारेंगे
क्यों दुष्ट हैं आते फिर .
47. आह्वान करो दुर्गा
फैले असुर धरती
संहार करो सबका .
48. माँ नाश करो दुर्जन
कितने अधम पापी
जीना है कठिन सज्जन .
49. जन्मा फिर भष्मासुर
नीच कुटिल दानव
काटो धड़ रजनीचर .
50. भगवान बसे कण कण
मन में हो गर आस्था
पाओगे उसे जन जन .
51. स्वीकार करो काली
भेंट असुर मुण्डन
पी रक्त लो भर प्याली .
52. प्रह्लाद ने पाया जब
ध्रुव ने भी पाया है
मुझको भी मिलेगा रब .
53. नव भोर भई नभ में
छोड़ उदासी अब
जीवन फिर जी सच में .
54. बरबाद किया जीवन
भाई ने बहना का
क्या सब कुछ ही है धन .
55. बन साँप हैं डस लेते
पहलू में छिपे बैठे
अपने ही हैं जां लेते .
56. इंसां को बनाये रब
कर्म करें अच्छे
निर्वाण पा जायें सब .
kavi kulwant singh
Tuesday, June 1, 2010
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26 comments:
बहुत ही सुन्दर भावना और सार्थक प्रस्तुती ,खासकर ये पंक्ति -.
चाहो जो मिलें खुशियाँ
दुख न किसी को दो
बाँटो हर पल खुशियाँ .
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ !
बहुत ही सुन्दर रचना!
thanks if you have share this nice text visuals with me.
regards
yogendra kumar purohit
M.F.A.
Bikaner,INDIA
many thanks dear friends...
with love..
शुक्रिया कुलवंत जी ,
आज आपकी बहुत रचनायें पढ़ीं ; नारी और भगतसिंह तो अच्छी लगी हीं लेकिन माहिये नयापन लिए थीं और विभिन्न पहलुओं को रौशन कर रहीं थीं .बहुत कुछ कर रहे हैं आप .बधाई .
माहिया...लगता है गायन की एक विधा है...कृपया इसके विषय में विस्तार से बताएं तो आभार मानूंगी...
भाव और प्रवाह इतने सुन्दर हैं कि लगा ,इन्हें राग में गया जाय तो बड़ा ही कर्णप्रिय बन पड़ेगा...
सुन्दर रचना के लिए आभार..
Rachama Ji .
thamks..for vistimg my vlog..
Mahiye ek vidha hai.. lokgeet..punjav ki
Mahi.. is word for lover
so mahiye should ve love songs..
vut people write everything..
mahiye meter is ..
2 2 1 1 2 2 2
2 1 1 2 2 2
2 2 1 1 2 2 2
iski dhun ka ek example -
ek gaana tha...
Tum roothe ke mat zaana
Dil se hai kya shikwaa
deewaana hai deewana...
isi dhun me gaa ke dekhiye...khoovsurat lagenge..
कुलवंत जी ,
बहुत ही सुंदर एवं सरल माहिये रचे हैं आपने ,
भावों की सच्ची ब्यथा तथा प्यार के उन्माद,इन्तजार की झलक दिखती है I
ढेरों बधाई
सुन्दर माहिये हैं आपके...कवि साहब...
आदरणीय कुलवंतजी
नमस्कार !
आपके यहां जब भी आया , आपके कवि मन के प्रति श्रद्धा भाव द्विगुणित हुए ।
आपके तमाम माहिये बहुत पसंद आए ।
मैंने तो राजस्थानी भाषा में भी माहिये कहे हैं … कभी अपने ब्लॉग शस्वरं पर लगाऊंगा ।
हर विषय आपने इस नन्हे से प्यारे से छंद के माध्यम से बख़ूबी छुआ है …
साधुवाद ! बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
कुलवंत जी, इतनी छोटी और इतनी मारक रचनायें, उफ। ये माहिये तो बिलकुल हाइकू जैसे लगते हैं जी। आप के रचना संसार में आकर एक नयी अनुभूति हुई। शुभकामनाएं।
www.sakhikabira.blogspot.com
kulwant ji , namaskar , main pahli baar ye mahiye padh raha hoon aur kya kahun ki kitni khushi hui hai ,, ek ek mahiye ne dil me prem aur mitrata aur humanity ki boondo ko jhalka diya .. waah waah waah
restoring the words...at their place... will not restore the health and samman....
many thanks dear friends...
with love
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ !
बन साँप हैं डस लेते
पहलू में छिपे बैठे
अपने ही हैं जां लेते .
उत्तम
इंसां को बनाये रब
कर्म करें अच्छे
निर्वाण पा जायें सब .
निर्वाण का शाश्वत नुस्खा
मिलती है खुशी ऐसे
मिलकर अपनों से
मिसरी हो घुली जैसे .
दिलबर हैं मेरे आते
जा के ले आऊँ मैं
धुन गीत मधुर गाते .
सकारात्मक सोच ही जीवन में खुशियां लाती हैं...
प्रार्थना है कि......
इंसान जाग जाए,
मिट जाए थकन सारी
इक ऐसी भोर आए!
bahut sundar rachna
acha laga apke blog par aakar...
Banned Area News : Karnataka News
आदरणीय कुलवंतजी
बहुत सुन्दर माहिये हैं आपके.
bahut achche..
बहुत सुन्दर रचना कुलवन्त जी, मगर जून के बाद से कुछ नही लिखा?
सुन्दर माहिये। आज तो लोग माहिये गाना ही भूल गये हैं। बधाई।
Hey keep posting such good and meaningful articles.
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