Poetry by Vikram Saxena
A very Loving Person
Ph: 09711144798 / 011-23315717
1) मैं कह न सका ,
शब्दों को माला में पिरो न सका
और वो पढ़ न सके मेरे निःशब्द शब्दों की कविता
और वो पढ़ न सके मेरे निःशब्द शब्दों की कविता
2) रूहानी चेहरा तेरा कातिल भी है
रास्ता-ऐ मक्का भी ये
रास्ता-ऐ महखाना भी ये
तेरी निगाहों से कत्ल जो हो
खुदा को तो मैं पाऊँ
रास्ता-ऐ मक्का भी ये
रास्ता-ऐ महखाना भी ये
तेरी निगाहों से कत्ल जो हो
खुदा को तो मैं पाऊँ
3) राहें हैं राही जुदा जुदा
मुश्किलें भी हैं जुदा जुदा
मंजिल सबकी एक, ओ मेरे खुदा
मंजिल पहुँच नयी मंजिल दिखे
ऐसा तेरा नखलिस्तान
मुश्किलें भी हैं जुदा जुदा
मंजिल सबकी एक, ओ मेरे खुदा
मंजिल पहुँच नयी मंजिल दिखे
ऐसा तेरा नखलिस्तान
4) सोचा था वक़्त के थपेड़ों से भी मैं न बदल पाउँगा,
तेरी यादों के साये से मैं न उबर पाउँगा ||
मगर अब यह आलम है
ज़िन्दगी में धूप है खिलीं
जबसे मिली है मुझे तू अनारकली ||
तेरी यादों के साये से मैं न उबर पाउँगा ||
मगर अब यह आलम है
ज़िन्दगी में धूप है खिलीं
जबसे मिली है मुझे तू अनारकली ||
5) ऐ हकीम -ऐ लुक्मान,
नासमझ क्यूँ नहीं है तुझे इसका गुमा
मेरे नासूर-ऐ-इश्क की है तू ही दवा ||
नासमझ क्यूँ नहीं है तुझे इसका गुमा
मेरे नासूर-ऐ-इश्क की है तू ही दवा ||
6) तू ही समझा इस जख्मी जिगर को,
भला रूहें जवाब देती है क्या ?
क़त्ल करके पूछते हैं वो, मंज़र कैसा था, खंज़र किसका था ?
भला रूहें जवाब देती है क्या ?
क़त्ल करके पूछते हैं वो, मंज़र कैसा था, खंज़र किसका था ?
7) मौला मुझे माफ़
करना, ना पीर की सुनूँ ना पंडित की
में तो सुनू महखाने की, लाल रंग के प्याले की
जश्ने जिंदगी ना जी सकूं, इनकी सुनूँ तो मै ना पी सकूं
जिंदगी जो जियूं इस बार, तू ना दे सके बार बार
में तो सुनू महखाने की, लाल रंग के प्याले की
जश्ने जिंदगी ना जी सकूं, इनकी सुनूँ तो मै ना पी सकूं
जिंदगी जो जियूं इस बार, तू ना दे सके बार बार
8) क्यूँ पूछते हो मेरी दीवानगी का सबब जमाने से
नज़रे तो मिली पर
क्यूँ न तुम अपने अस्क को पहचान पाई
यूँ ही सोचते रहे मुझको हरजाई
नज़रे तो मिली पर
क्यूँ न तुम अपने अस्क को पहचान पाई
यूँ ही सोचते रहे मुझको हरजाई
9) जान- ए-- चमन और
दिल ए- दिलदार हो
जान ए बहार और गुल ए गुलज़ार हो
जन्नत ए हूर हो, वो भी मेरे पास
ये भी, वो भी हो, ऐसी भी, वैसी भी हो
यहाँ भी, वहां भी हो, घर में भी हो , बाहर भी हो
दौलत भी औ शोहरत भी मेरे पास हो
ऐ दीवाने दिल.....
जन्नत की चाह इस ज़मी पे लिए
तू परछाई के पीछे ना भाग
जान ए बहार और गुल ए गुलज़ार हो
जन्नत ए हूर हो, वो भी मेरे पास
ये भी, वो भी हो, ऐसी भी, वैसी भी हो
यहाँ भी, वहां भी हो, घर में भी हो , बाहर भी हो
दौलत भी औ शोहरत भी मेरे पास हो
ऐ दीवाने दिल.....
जन्नत की चाह इस ज़मी पे लिए
तू परछाई के पीछे ना भाग
10) तुझे पाने की खवाइश
में
जब हारा मैं सब कुछ
पूछे ये पुरजोश ज़हन, क्यों कहते हैं फिर ----
जो जीता वोही सिकन्दर
जब हारा मैं सब कुछ
पूछे ये पुरजोश ज़हन, क्यों कहते हैं फिर ----
जो जीता वोही सिकन्दर
11) मत आ मेरे करीब, ओ मेरे रकीब
हवा न दे इन अरमानो को, क्यों तुझे नहीं इसका गुमा
राख की परतों के तले, एक शोला अभी बाकी है
हवा न दे इन अरमानो को, क्यों तुझे नहीं इसका गुमा
राख की परतों के तले, एक शोला अभी बाकी है
12) तू तिफ्ल तो नहीं,
फिर डरता है क्यूँ गिरने से ऐ सवार ..
तुझे इसका इल्म क्यूँ नहीं, कि
जो गिर के उठे वो ही है शेह्सवार
फिर डरता है क्यूँ गिरने से ऐ सवार ..
तुझे इसका इल्म क्यूँ नहीं, कि
जो गिर के उठे वो ही है शेह्सवार
13) कैसे न इज़हारे इश्क कबूल कर पाओगे
कि मेरे इश्क मै न डूब पाओगे
यकीनन मेरी खुशी है तेरी जीत मे
पर कैसे तुम बहते हुए पानी मे मेड बना पाओगे
कि मेरे इश्क मै न डूब पाओगे
यकीनन मेरी खुशी है तेरी जीत मे
पर कैसे तुम बहते हुए पानी मे मेड बना पाओगे
14) दिया जो तोहफ़ा तूने लुफ़्ते इन्त्ज़ार का
आदत सी हो चली है जब दिले बेकरार को
डर है कि कन्ही तू आ न जाये
15) ना हो जालिम इन्तिहा तेरे इम्तिहान की
तेरे इम्तिहान को मेरी खाक भी राज़ी है
16) जिन्दगी यून्ही गुजर जायेगी फ़रियाद करते करते
कभी उनसे कि कुछ Waqt ठह्र्रजा
कभी Waqt से कि तू ही ठह्र्रजा
आदत सी हो चली है जब दिले बेकरार को
डर है कि कन्ही तू आ न जाये
15) ना हो जालिम इन्तिहा तेरे इम्तिहान की
तेरे इम्तिहान को मेरी खाक भी राज़ी है
16) जिन्दगी यून्ही गुजर जायेगी फ़रियाद करते करते
कभी उनसे कि कुछ Waqt ठह्र्रजा
कभी Waqt से कि तू ही ठह्र्रजा
17) लानत है
तुझ पर ऐ नामुराद मरदूद
जो पिन्ज्रर बन्द हो जमाने से डर के
ऐ दिल जो तू जशने जिन्दगी के लिये ना धडःके
18) आना जाना तेरा मोआइअन* इस बिसात मे
फिर कयो खेले खेल तू गमगीन
होजा तू रन्गीन इस बिसात मै
कह्ता है राजी जो ना है एक काज़ी
तुम भी चले चलो यून्ही जब तक चली चले
*मोआइअन = Predetermined
जो पिन्ज्रर बन्द हो जमाने से डर के
ऐ दिल जो तू जशने जिन्दगी के लिये ना धडःके
18) आना जाना तेरा मोआइअन* इस बिसात मे
फिर कयो खेले खेल तू गमगीन
होजा तू रन्गीन इस बिसात मै
कह्ता है राजी जो ना है एक काज़ी
तुम भी चले चलो यून्ही जब तक चली चले
*मोआइअन = Predetermined
19) ओ चान्द आज रात तू पूरे निखार से आना
आपनी चान्द्न्नी से मेरे मह्बूब को रिझाना
इस विरह कि रात , जीने के लिये
अगर तू नही, तो तेर अस्क ही सही
मगर ओ चान्द तू जल्दी छूप ना जाना
आपनी चान्द्न्नी से मेरे मह्बूब को रिझाना
इस विरह कि रात , जीने के लिये
अगर तू नही, तो तेर अस्क ही सही
मगर ओ चान्द तू जल्दी छूप ना जाना
20) नज़रो से नज़रो का नशा न नाप पाये तुम
मेरे ज़ख्मी ज़िगर को न पहचान पाये तुम
मेरे ज़ख्मी ज़िगर को न पहचान पाये तुम
21) गुस्ताख
निगाहो की गुस्ताखी को कभी तो देख,
कभी अपनी मस्त नजरो से, मेरी तन्हाई को तो देख .
कभी अपनी मस्त नजरो से, मेरी तन्हाई को तो देख .
22)
ऐ दिल- ऐ -नादान तू क्यों है हैरान और परेशान
अंधियारे की अनकही को तू सुन
कि सुबह अभी बाकी है
अंधियारे की अनकही को तू सुन
कि सुबह अभी बाकी है
23)
बेवजह कट न जाये जिन्दगी यूँ ही
तुझे ढूंढते ढूंढते जीने की वजह ढूंढते ढूंढते
तुझे ढूंढते ढूंढते जीने की वजह ढूंढते ढूंढते
24)
मैं क्या हूँ और तू क्या है, ये अंदाज़े मोहब्बत क्या है
जान ले ओ जानेजाना, ये पल नहीं लौट के आना,
शमा के बुझ जाने पर, चाँद के उस पार,
मैं नहीं, तू नहीं और कुछ भी नहीं
जान ले ओ जानेजाना, ये पल नहीं लौट के आना,
शमा के बुझ जाने पर, चाँद के उस पार,
मैं नहीं, तू नहीं और कुछ भी नहीं
25)
तू है सही कि मेरा दिल है सही
तेरे इंतजार की रहगुज़र में जो गुज़र जाऊं, तो वो भी सही
तेरे इंतजार की रहगुज़र में जो गुज़र जाऊं, तो वो भी सही
26)
मौला मुझे माफ़ करना
जो मुझे न है इस का मलाल, कि न देखा तेरा ये जलवा औ जलाल
आखिर क्यों तूने बनाया ये गुल
और मुझे उस गुल का गुलाम
जो मुझे न है इस का मलाल, कि न देखा तेरा ये जलवा औ जलाल
आखिर क्यों तूने बनाया ये गुल
और मुझे उस गुल का गुलाम
27)
मैं बे दिल ही सही
जीता तो हूँ तेरी आस मैं
लौटाया तूने गर कहीं मेरा दिल
तेरी आस तो रहेगी पर ये साँस न रहेगी
जीता तो हूँ तेरी आस मैं
लौटाया तूने गर कहीं मेरा दिल
तेरी आस तो रहेगी पर ये साँस न रहेगी
28)
रण का बाजा बजे अनवरत,
महाभारत है इधर उधर | |
रण है बहार, रण है भीतर,
चौतरफा रण ही रण है,
हो अंत इस द्वन्द का | |
जब तू जीते अंतर्द्वंद,
होगा हर महाभारत का विध्वंस
और गले मिलेंगे कृष्ण और कंस | |
अंतर्द्वंद = The fight within
महाभारत है इधर उधर | |
रण है बहार, रण है भीतर,
चौतरफा रण ही रण है,
हो अंत इस द्वन्द का | |
जब तू जीते अंतर्द्वंद,
होगा हर महाभारत का विध्वंस
और गले मिलेंगे कृष्ण और कंस | |
अंतर्द्वंद = The fight within
29)
कातिल मेरे, खंजर ना तू दूर से चला
मेरे पास तो आ, नजरे तो मिला
मेरे पास तो आ, नजरे तो मिला
30)
तेरे दर पर दस्तक दी जो मैने तेरे दीदार के खातिर
तेरा नाम दिखा, तेरी शोहरत दिखी,
तेरा नाम दिखा, तेरी शोहरत दिखी,
तेरी
दौलत दिखी और तेरा रुतबा दिखा,
बेदार तो मै था पर न दिखा बशर और न ही बशरइयत
बेदार तो मै था पर न दिखा बशर और न ही बशरइयत
बेदार
= awake, जगा हुआ, बसेरा = home
बशर = human, इंसान
बशरइयत = इंसानियत
बशर = human, इंसान
बशरइयत = इंसानियत
31)
मै हूँ, तू है और ये पल है , जो निश्छल है
आ इस में खोजा तू , इसका हो जा तू
क्यों है तू उदास , करे क्यूँ तू कल की आस
किसने देखा है यहाँ कल ,
जान ले ओ अनजान , ओ नादान
कैसे करेगा कोई ताउम्र साथ का वादा
यहाँ तो लोग जनाजे में भी कन्धा बदलते रहते है
आ इस में खोजा तू , इसका हो जा तू
क्यों है तू उदास , करे क्यूँ तू कल की आस
किसने देखा है यहाँ कल ,
जान ले ओ अनजान , ओ नादान
कैसे करेगा कोई ताउम्र साथ का वादा
यहाँ तो लोग जनाजे में भी कन्धा बदलते रहते है
32)
राहें हैं राही जुदा जुदा
मुश्किलें भी हैं जुदा जुदा
मंजिल सबकी एक, ओ मेरे खुदा
मंजिल पहुँच नयी मंजिल दिखे
ऐसा तेरा नखलिस्तान
नखलिस्तान = mirage
मुश्किलें भी हैं जुदा जुदा
मंजिल सबकी एक, ओ मेरे खुदा
मंजिल पहुँच नयी मंजिल दिखे
ऐसा तेरा नखलिस्तान
नखलिस्तान = mirage
33)
तू तिफ्ल तो नहीं,
फिर डरता है क्यूँ गिरने से ऐ सवार ..
तुझे इसका इल्म क्यूँ नहीं, कि
जो गिर के उठे वो ही है शेह्सवार
34) देखा जो उसे
ये ज़मी रुक गई, आस्मां रुक गया
रुकते रुकाते हुआ ये कि
मेरे दिल की साँस भी रुकी
फिर डरता है क्यूँ गिरने से ऐ सवार ..
तुझे इसका इल्म क्यूँ नहीं, कि
जो गिर के उठे वो ही है शेह्सवार
34) देखा जो उसे
ये ज़मी रुक गई, आस्मां रुक गया
रुकते रुकाते हुआ ये कि
मेरे दिल की साँस भी रुकी
35)
शब् शुक्रिया जो तू माही को साथ लाई
पर कयूं तू मुख़्तसर सी आई
और सुबह का दामन ना छोड़ पाई
तेरे जाने से दिल अब भी धडकता तो है
मगर खामोश है
पर कयूं तू मुख़्तसर सी आई
और सुबह का दामन ना छोड़ पाई
तेरे जाने से दिल अब भी धडकता तो है
मगर खामोश है