Wednesday, May 16, 2007

Haiku

कुछ हाइकु
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1 जिंदगी एक
गमों का है दरिया
बस तैरिये !
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2 बेटी का जन्म
घर मे है मातम
पराया धन !
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3 गरीबी पाप
मौत से बदतर
जीना दुश्वार !
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4 सच की राह
चलना है मुश्किल
कांटो से भरी ।
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5 निराशा छायी
उजाले छिप गये
क्षितिज तक ।
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6 स्वप्न सजाओ
दिल को बहलाओ
क्या जाता है ?
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7 हसरत है
तुम्हारी चाहत की
मिलो न मिलो !
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8 दिल का दर्द
दिल वाले ही जाने
बिछुड़ कर ।
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9 अपनी धरा
बिछुड़ कर रोता
माँ तुल्य गोद ।
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10 क्रूर इंसान
विलुप्त संवेदना
गला काटता ।
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11 भली लगती
प्यार मे इसरार
इंतजार है ।
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12 कभी तो मिलो
अपना कह कर
गर्मजोशी से ।
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13 जमीं बिछुड़ी
अपना किसे कहें
घरौंदे ढ़हे ।
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14 परदेश है
गाली भी दें तो किसे
अपना कौन ?
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15 दिली जज्बात
नम हो गयी आँखे
याद जो आयी ।
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16 अश्क बहाऊँ
कौन भला अपना
पोंछेगा कौन ?
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17 अंकुर फ़ूटा
प्रकृति का संदेश-
नवजीवन ।
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कवि कुलवंत सिंह

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छे हाइकु लिखे है। आप की यह रचना बहुत सुन्दर है।बधाई।

नारी
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मानव पर ऋण - नारी का।
नारी !
जिसने माँ बन -
जन्म दिया मानव को।
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ईश्वर पर ऋण - नारी का।
ईश्वर!
जिसने जन्म लिया हर बार
एक माँ की कोख से।
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प्रकृति पर ऋण - नारी का।
प्रकृति !
जिसने सौंपा यह महान उद्देश्य
नारी के हाथ।

Yatish Jain said...

हटके है अच्छा है