माँ शारदा की वंदना
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वर दे... वर दे. .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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मधुर मनोहर वीणा लहरी,
राग स्रोत की छ्टा है छ्हरी,
कण कण आभा अरुण सुनहरी,
तान हृदय में परिमित गहरी ।
उर में मेरे करुण भाव भर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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तरू दल पर किसलय डोले,
पीहूं पीहूं पपीहा बोले,
मलय तरंगित ले हिंडोले,
आशीष शारदा मन पट खोले ।
काव्य किलोल कर मधुरिम कर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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द्विज विस्मित कलरव विस्मृत,
सुरभि मंजरी दिगंत विस्तृत,
नाचे मयूर झूमे प्रकृति,
अंब वागेश्वरी संगीत निनादित ।
गीतों में मेरे रस छंद ताल भर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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कवि कुलवंत सिंह
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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मधुर मनोहर वीणा लहरी,
राग स्रोत की छ्टा है छ्हरी,
कण कण आभा अरुण सुनहरी,
तान हृदय में परिमित गहरी ।
उर में मेरे करुण भाव भर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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तरू दल पर किसलय डोले,
पीहूं पीहूं पपीहा बोले,
मलय तरंगित ले हिंडोले,
आशीष शारदा मन पट खोले ।
काव्य किलोल कर मधुरिम कर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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द्विज विस्मित कलरव विस्मृत,
सुरभि मंजरी दिगंत विस्तृत,
नाचे मयूर झूमे प्रकृति,
अंब वागेश्वरी संगीत निनादित ।
गीतों में मेरे रस छंद ताल भर दे ।
वर दे ... वर दे .. वर दे ।
शतदल अंक शोभित वर दे ।
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कवि कुलवंत सिंह
5 comments:
कुलवंत सिंह जी,आप की रचना "माँ शारदा की वंदना" एक साहित्यक व कविता के समस्त गुणों सो ओत-प्रोत एक सुन्दर रचना है।पढकर बहुत आनंद आया। आप की रचनाएं किसी बड़े कवि का आभास देती हैं\बधाई।
आपकी रचना पढ़कर निराला की वर दे वीणा वादिनी वर दे याद आ गया… बहुत उम्दा रचना।
आप द्वारा दिए मान से मैं नतमस्तक हूँ। कवि कुलवंत
aapke haiku jaandar hain. 3 panktiyon ki rachna ka sundar nirvaah dikhta hai. meri or se badhai
aapke haiku mein prakrati ki chhata ka varnan hai jo ki haiku ki prathmikta hai. aas paas ke vatavaran par apni drishti rakhna hi haikukar ka kartavya hai. aap ne iska sunder nirvaah kiya hai.
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