प्यार भले कितना ही कर लो, दिल में कौन बसाता है .
मीत बना कर जिसको देखो, उतना ही तड़पाता है .
मेरा दिल आवारा पागल, नगमें प्यार के गाता है
ठोकर कितनी ही खाई पर बाज नही यह आता है .
मतलब की है सारी दुनिया कौन किसे पहचाने रे
कौन करे अब किस पे भरोसा, हर कोई भरमाता है .
अपना दुख ही सबको लगता सबसे भारी दुनिया में
बस अपने ही दुख में डूबा अपना राग ही गाता है .
खून के रिश्तों पर भी देखो छाई पैसे की माया
देख के अपनो की खुशियों को हर चेहरा मुरझाता है .
कहते हैं अब सारी दुनिया सिमटी मुट्ठी में लेकिन
सात समंदर पार का सपना सपना ही रह जाता है .
इंसा नाच रहा हैवां बन, कलयुग की कैसी छाया
मैने जिसको अपना माना, मुझको विष वो पिलाता है .
आँख में मेरी आते आंसू, जब भी करता याद उसे
दूर नही वह मुझसे लेकिन, पास नही आ पाता है .
इक लम्हे के लिए भी जिसने, अपना दिल मुझको सौंपा
जीवन भर फिर याद से अपनी, मुझको क्यूँ वो रुलाता है .
मेरे पैरों में सर रख कर, दर्द की दी उसने दुहाई
दर्द की लेकर मुझसे दवाई मुझको आँख दिखाता है .
कवि कुलवंत सिंह
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10 comments:
bahut hi khubsooratandaj me kahi hai aapane ......padakar achchha laga......bahut hi sundar
अपना दुःख ही सबको लगता सबसे भारी दुनिया में ,
बस अपने ही दुःख में डूबा अपना राग ही गता है |
कुलवंत जी ,आपने जीवन के सच को इन दो पंक्तियों में बड़े सुन्दर तरीके से व्यक्त किया है |बधाई
जीवन का सच
jeevan ki sachchai bhar di hai rachna men, umda rachna ke liye badhaai.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
कवि कुलवन्त जी!
आपको बधाई।
sahi baat kahi aapne....
बहुत खूबसूरत मतला है:
प्यार भले कितना ही कर लो, दिल में कौन बसाता है .
मीत बना कर जिसको देखो, उतना ही तड़पाता है .
वैसे तो सारी ही ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी, यह शेर बहुत सुन्दर हैं:
खून के रिश्तों पर भी देखो छाई पैसे की माया
आँख में मेरी आते आंसू, जब भी करता याद उसे
दूर नही वह मुझसे लेकिन, पास नही आ पाता है .
देख के अपनो की खुशियों को हर चेहरा मुरझाता है .
महावीर शर्मा
आप सभी का प्यार और आशीष ही मेरा जीवन है...
bahut sunder rachna hai...
kulwant ji
purskaar ke liye bahut-bahut mubarkbaad. duava hai kee aap aise hee zindgi main aage bhadtai rahain. aapki Gazal Bhee padne koa mili, aachhaa likh rahai hoa. Barkraar rakhiye.
Sushil 'Hasrat' Narelvi,
Chandigarh.
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