(आज के युग में मानव की जिंदगी से अपनापन कहीं लुप्त होता जा रहा है। स्वार्थ एवं धन की होड़ में अपनापन छूटता जा रहा है। लेकिन यह कहीं दूर नही है, हमारे आसपास ही है। हम किस तरह इसे आसानी से पा सकते हैं - चंद पंक्तियों में देखिये -
.
एक छोटी सी मुस्कुराहट भी
दिल जीत लेती है
मुस्कुरा कर तो देखो!
.
वार्तालाप एक अजनबी को भी
अपना बना देती है
बात कर के तो देखो!
.
बड़ा बन माफ़ करने से
दूरियां मिट जाती हैं
माफ़ कर के तो देखो!
.
गिले शिकवे भुलाने से
प्यार ही पनपता है
गले लगा के तो देखो!
.
कवि कुलवंत सिंह
Thursday, May 31, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
कुलवंत जी..
साधारण शब्दों में बडी बडी बाते कह रहे हो, आपको और पढने की प्रतीक्षा रहेगी।
*** राजीव रंजन प्रसाद
कुलवंत जी,बहुत खूब लिखा है।
कौन गले लगाना चाहता है कुलवंत जी आजकल के ज़माने मे ? किसी के पास टाइम है क्या ? यहाँ तक की बहुत से लोग टाइम पूछने पैर कह देते हैं की उनके पास घड़ी नही है जबकि मोबाइल मे टीमे वाली घड़ी लगी रहती है . लेकिन आदमी का स्वाभाव देखिए कितना विचित्र है की फिर भी वो चाहता है की लोग प्यार करें , टाइम बताएँ और वो सारी छोटी छोटी चीज़ें करें जो हमे आदमीयात की तरफ़ खींचती हैं
बजार वाला आपने बहुत सही कहा है। लेकिन इंसानियत अभी भी जिंदा है। हम सभी के अंदर जिंदा है। क्या आप ने कभी किसी का भला नही किया? क्या आपने बड़ों को मान नही दिया? क्या आपने माँ, पिता, गुरूजनों के पैर नही छुए? क्या आपने कभी किसी भिखारी को दान नही दिया? क्या आपने कभी किसी पूजा स्थल, मंदिर, गिरिजा, चर्च में सर नही झुकाया... यदि इन सब प्रश्नों का उत्तर हाँ है तो अवश्य ही आदमियत हम सबमें जिंदा है। जिंदा ही नही फ़ल फ़ूल भी रही है। हाँ यह अवश्य है कि भाग दौड़ की जिंदगी ने इंसान को कठोर होने के लिए मजबूर कर दिया है। लेकिन इसमें भी उस इंसान का क्या दोष, जिसे सिर्फ़ रोजी रोटी के लिए ही इतनी भाग दौड़ करनी पड़्ती हो। विशेषकर महानगरों की जिंदगी कितनी तनावपूर्ण है। ऊपर से सुविधाओं की खस्ता हालत!!
इंसान क्या करे?
आइये सब को गले लगा कर चलें।
कवि कुलवंत
Apnaapan Rating: Excellent
sach kahte hain aap Kulvant ji ki ek chhota sa achha vayavhaar kahi na kahi kisi galat man par bhi chhap chodhta hai aur aage chal kar kabhi to wo badalta hai aapki is kavita main bahut hi achhe aur positive ehsaas padhne ko mile
shraddha
Post a Comment