पति - पत्नी
अहा ! मन में बिखरी खुशियाँ,
अहा ! दिल में खिलती कलियाँ .
आज यौवना का परिणय है,
अपने सपनों में तन्मय है .
लेकर भाव पूर्ण समर्पण,
करना है यह तन मन अर्पण .
पल्लव मन गुंजारित हर्षित,
लज्जा नारी सुलभ समर्पित .
मृदु-क्रीड़ा, आलिंगन, चुंबन,
रोम रोम में भरते कंपन .
अधीर हृदय की प्रणय पुकार,
उष्ण स्पर्श की मधु झंकार .
पुष्प सुवासित महका जीवन,
सात रंग से बहका जीवन .
किलकारी से खिला संसार,
खुशियों का न पारावार .
जग जीवन ने डाला भार,
कर्तव्यों का बोझ अपार .
मीत की मन में प्रीत अथाह,
देखे लेकिन कैसे राह .
अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,
भटका मन है बृहत आकाश .
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मन में कोंपल फूट रही हैं,
सिंधु तरंगे उमड़ रही हैं .
माही को पाने की चाह,
बंधन पावन शुभ्र विवाह .
उन्माद अतुल रूप की राह,
काम तरंगित रुधिर प्रवाह .
भाव भंगिमा अंग उभार,
मोहित करतीं हृदय अपार .
सुरभि सांस में अधर विनोद,
रूप आलिंगन मदिर प्रमोद .
तन मन पर कर पति अधिकार,
आत्मिक सुख पौरुष संसार .
निसर्ग मिलन प्रकृति उपहार,
जीवन नन्हा हुआ साकार .
जग जीवन ने डाला भार,
कर्तव्यों का बोझ अपार .
भूल गया वह बाग बहार,
पाने को सारा संसार .
जग में हो उसका उत्थान,
सभी करें उसका सम्मान .
अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,
भटका मन है बृहत आकाश .
कवि कुलवंत सिंह
--
Kavi Kulwant Singh
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Tuesday, March 2, 2010
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8 comments:
भूल गया वह बाग बहार,
पाने को सारा संसार .
जग में हो उसका उत्थान,
सभी करें उसका सम्मान .
नारी जीवन को उकेरती सुन्दर कविता। धन्यवाद्
poora jeevan hi samet diya .......bahut sundar.
Wah bahut hi sunder rachna hai sir...bahut dino bad aapki wasi badhai.
nice
सुन्दर कविता... धन्यवाद्.
wah , bahut sunder shabd chitra.
बहुत सुन्दर कविता. बधाई.
kavi kulwant ji,
aaj aapki kai rachna ek sath padh gai, yahan aur nikunj tatha chirantan se. bahut achha likhte hain aap. aapki lekhan shaili atyant prabhaawshaali hai. bahut shubhkaamnayen.
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