Monday, December 21, 2009

नव वर्ष

नव सृजन, नव हर्ष की,
कामना उत्कर्ष की,
सत्य का संकल्प ले
प्रात है नव वर्ष की .

कल्पना साकर कर,
नम्रता आधार कर,
भोर नव, नव रश्मियां
शक्ति का संचार कर .

ज्ञान का सम्मान कर,
आचरण निर्माण कर,
प्रेम का प्रतिदान दे
मनुज का सत्कार कर .

त्याग कर संघर्ष का,
आगमन नव वर्ष का,
खिल रही उद्यान में
ज्यों नव कली स्पर्श का .

प्रेम की धारा बहे,
लोचन न आंसू रहे,
नवल वर्ष अभिनंदन
प्रकृति का कण कण कहे .

कवि कुलवंत सिंह

11 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

नव-वर्ष के स्वागत में बढ़िया रचना!
अग्रिम बधाई स्वीकार करें।

Yogesh Verma Swapn said...

meri bhi agrim badhaai.

रंजना said...

waah !!! Man mugdh kar gayi aapki yah rachna....

Sundar sandesh deti anukarneey atisundar is rachna ke liye aapka aabhar....

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना......बधाई।

नीरज गोस्वामी said...

कुलवंत जी नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं...बेहद खूबसूरत और विलक्षण रचना...बधाई.
नीरज

Pritishi said...

Achchi rachanahai. Bahut achchi!
Ek pankti samajh nahi aayi ... "tyaag kar sangharsh ka" ... kyon ..?

निर्मला कपिला said...

कुलवंत जी बहुत सुन्दर रचना है नववर्ष की आपको भी बहुत बहुत बधाई

परमजीत सिहँ बाली said...

आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

kavi kulwant said...

आप सभी का हार्दिक अभिनंदन

गुड्डोदादी said...

कुलवंत बेटा
सदा सुखी रहो
बहुत ही सुंदर रचना है मन को छू लेने वाली
बधाई स्वीकार करें
आशीर्वाद
आपकी माँ
बीबी चिकागो से

डॉ. जेन्नी शबनम said...

sundar rachna, nav varsh mangalmay ho.