नव सृजन, नव हर्ष की,
कामना उत्कर्ष की,
सत्य का संकल्प ले
प्रात है नव वर्ष की .
कल्पना साकर कर,
नम्रता आधार कर,
भोर नव, नव रश्मियां
शक्ति का संचार कर .
ज्ञान का सम्मान कर,
आचरण निर्माण कर,
प्रेम का प्रतिदान दे
मनुज का सत्कार कर .
त्याग कर संघर्ष का,
आगमन नव वर्ष का,
खिल रही उद्यान में
ज्यों नव कली स्पर्श का .
प्रेम की धारा बहे,
लोचन न आंसू रहे,
नवल वर्ष अभिनंदन
प्रकृति का कण कण कहे .
कवि कुलवंत सिंह
Monday, December 21, 2009
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11 comments:
नव-वर्ष के स्वागत में बढ़िया रचना!
अग्रिम बधाई स्वीकार करें।
meri bhi agrim badhaai.
waah !!! Man mugdh kar gayi aapki yah rachna....
Sundar sandesh deti anukarneey atisundar is rachna ke liye aapka aabhar....
बहुत सुन्दर रचना......बधाई।
कुलवंत जी नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं...बेहद खूबसूरत और विलक्षण रचना...बधाई.
नीरज
Achchi rachanahai. Bahut achchi!
Ek pankti samajh nahi aayi ... "tyaag kar sangharsh ka" ... kyon ..?
कुलवंत जी बहुत सुन्दर रचना है नववर्ष की आपको भी बहुत बहुत बधाई
आपको सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन
कुलवंत बेटा
सदा सुखी रहो
बहुत ही सुंदर रचना है मन को छू लेने वाली
बधाई स्वीकार करें
आशीर्वाद
आपकी माँ
बीबी चिकागो से
sundar rachna, nav varsh mangalmay ho.
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