अमृत प्यार
माँ के प्यार की महिमा का, करता हूँ गुणगान,
कभी कमी न प्यार में होती, कैसी है यह खान .
कष्ट जन्म का सहती है, फिर भी लुटाती जान,
सीने से चिपकाती है, हो कैसी भी संतान .
छाती से दूध पिलाती है, देती है वरदान,
पाकर आंचल की छांव, मिलता है सुख बड़ा महान.
इसके प्यार की महिमा का, कोई नही उपमान,
अपनी संतति को सुख देना ही इसका अरमान .
अंतस्तल में भरा हुआ है, ममता का भंडार,
संतानों पे खूब लुटाती, खत्म न होता प्यार .
ले बलाएं वह संतति की, दे खुशियों का संसार,
छू न पाए संतानों को, कष्टों का अंगार .
दुख संतति का आंख में बहता, बन कर अश्रुधार,
हर लेती वह पीड़ा सुत की, कैसा हो विकार .
संकट आएं कितने भारी, खुद पर ले हर बार,
भाग्य बड़े हैं जिनको मिलता, माँ का अमृत प्यार .
Kavi Kulwant Singh
Monday, December 7, 2009
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6 comments:
SACHMUCH MAA TO SHRISHTI KE POORNTA KA AADHAAR HAI......
IS SUNDAR RACHNA KE LIYE AAPKA AABHAR.
SACHMUCH MAA TO SHRISHTI KE POORNTA KA AADHAAR HAI......
IS SUNDAR RACHNA KE LIYE AAPKA AABHAR.
bahut sunder bhav purn matra stutu/rachna.
बहुत बढ़िया जी!
चर्चा हिन्दी चिट्ठों की में भी इसकी चर्चा है जी!
माँ को इस से प्यारी भेट नहीं हो सकती।
Maan ka bahut hi sunder aur such vardan kiya hai aapne...jitna bhi kaha jye kam..kyon ki maan shabd hi yesa hai...!badhai
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