Thursday, October 16, 2008

गज़ल

शैदाई समझ कर जिसे था दिल में बसाया ।
कातिल था वही उसने मेरा कत्ल कराया ॥

दुनिया को दिखाने जो चला दर्द मैं अपने,
हर घर में दिखा मुझको तो दुख दर्द का साया ।

किसको मैं सुनाऊँ ये तो मुश्किल है फसाना
दुश्मन था वही मैने जिसे भाई बनाया ।

मैं कांप रहा हूँ कि वो किस फन से डसेगा,
फिर आज है उसने मुझसे प्यार जताया ।

आकाश में उड़ता था मैं परवाज़ थी ऊँची,
पर नोंच मुझे उसने जमीं पर है गिराया ।

गीतों में मेरे जिसने कभी खुद को था देखा,
आवाज मेरी सुन के भी अनजान बताया ।

कांधे पे चढ़ा के उसे मंजिल थी दिखाई,
मंजिल पे पहुँच उसने मुझे मार गिराया ।

शैदाई= चाहने वाला, पर = पंख, परवाज = उड़ान

कवि कुलवंत सिंह

16 comments:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन भाई...बहुत सही!!!

कामोद Kaamod said...

मैं कांप रहा हूँ कि वो किस फन से डसेगा,
फिर आज है उसने मुझसे प्यार जताया ।

वाह , बेहतरीन.

Rachna Singh said...

किसको मैं सुनाऊँ ये तो मुश्किल है फसाना
दुश्मन था वही मैने जिसे भाई बनाया ।

bahut sunder aur sateek , hamesha ki tarah behtreen

अमिताभ मीत said...

मैं कांप रहा हूँ कि वो किस फन से डसेगा,
फिर आज है उसने मुझसे प्यार जताया ।

बेहतरीन.

रंजू भाटिया said...

मैं कांप रहा हूँ कि वो किस फन से डसेगा,
फिर आज है उसने मुझसे प्यार जताया ।

बहुत खूब ..बढ़िया लगी आपकी यह गजल

seema gupta said...

शैदाई समझ कर जिसे था दिल में बसाया ।
कातिल था वही उसने मेरा कत्ल कराया ॥
" very touching and touching creation..excellent"

Regards

Mumukshh Ki Rachanain said...

भाई कुलवंत जी,
आपकी ग़ज़ल के सभी शेर एक से बढ़ कर एक हैं, तारीफ करते हुए डर रहा हूँ , क्योकि आपकी ही एक ग़ज़ल का एक शेर कह रहा है..........

मैं कांप रहा हूँ कि वो किस फन से डसेगा,
फिर आज है उसने मुझसे प्यार जताया ।

मेरी तारीफ आपके लिए मेरा प्यार ही है.

चन्द्र मोहन गुप्त

Kavi Kulwant said...

Aap sabhi mitron ka dher saara pyaar mila...
man me taaji hawa ka ek jhonka chala...

RADHIKA said...

बेहतरीन

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

bahut khoob

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत ही बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

अछ्ची रचना है आपकी

شہروز said...

kya bat hai bhai.khoob likhte ho yaar!
ज़रूर पढिये,इक अपील!
मुसलमान जज्बाती होना छोडें
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/2008/10/blog-post_18.html

Satish Saxena said...

अच्छा अंदाज़ है !

Anonymous said...

आपको सपरिवार दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

Anonymous said...

agai very nice!!!!!!!!!!!!