कलयुग में -
भगवन सुख से सो रहा, असुर धरा सब भेज ।
देवों की रक्षा हुई, फंसा मनुज निस्तेज ॥
कवि कुलवंत सिंह
Friday, April 25, 2008
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आपका स्वागत है - आपके कहे कुछ शब्द मुझे भावविभोर करेंगे एवं दिशा प्रदान करेंगे ! कवि कुलवंत ... ......... मैं जब भी हूँ किसी इंसां के करीब जाता , अल्लाह तेरा बस तेरा ही वजूद पाता . कवि कुलवंत
6 comments:
सही है ।
कुलवंत जी
आपके दोहे अच्छे लगे बधाई स्वीकारें
कोलैस्ट्रोल घटाने वाली दवा पूछने के लिये आपको मेल भी किया था
क्रिपया उसका विस्तार बताएं
---योगेन्द्र मौदगिल
Take C65 Homeopathic formulation for Obesity..
व्यंग्य पसंद आया, कुलवंत जी।
पसंद आया
गज़ल - चले जाते हैं लोग
[b][red]
वाह अति सुंदर बहुत खुब
कलयुग में -
भगवन सुख से सो रहा, असुर धरा सब भेज ।
देवों की रक्षा हुई, फंसा मनुज निस्तेज ॥
फंसा मनुज निस्तेज असुरों से लड़ लड़ के
सिर्फ तेरा सहारा उसको जल्द राम-कृष्ण धरती पर भेज
शुम्भ निशुम्भ, रावन कुम्भकर्ण- जरासंध कालयावन से यह संसार भर गया
तेरी सल्तनत हिल चुकी मानव दानव बन चूका
एक ब्रह्मास्त्र ने पांडववंश को रोक दिया
हजारो परमाणु बमों से आज भर गयी है यह धरा
तू ने जो राम सेतु बनाया था वोह आज खतरे में है
रामसेतु नहीं- तेरा नाम धरती पर खतरे में है
कवि कुलवंत तुझे कह रहा है छोड़ शेश्नागों के सेज
उठ हे राम बुला असुरों को राम्दूतों की सेना भेज
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