कलयुग में मैं ढो़ रहा, लेकर अपनी लाश ।
सत्य रखूँ यां खुद रहूँ, खुद का किया विनाश ॥
कवि कुलवंत सिंह
Tuesday, April 15, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आपका स्वागत है - आपके कहे कुछ शब्द मुझे भावविभोर करेंगे एवं दिशा प्रदान करेंगे ! कवि कुलवंत ... ......... मैं जब भी हूँ किसी इंसां के करीब जाता , अल्लाह तेरा बस तेरा ही वजूद पाता . कवि कुलवंत
1 comment:
आपने इन दो पंक्तियों में बहुत बड़ी बात कह डाली है. मै उम्मीद करता हूँ की आप इस दोहे को आगे बढ़ाना पसंद करेंगे.
Post a Comment