अत्यन्त हर्ष का विषय है कि 12 जनवरी 2008 दिन शनिवार, को मुम्बई मे हिन्द-युग्म के सहयोग से आयोजित एक अंतरर्राष्ट्रीय कवि गोष्ठी का आयोजन कुलवंत सिंह, अवनीश तिवारी और आर. पी. हंस के संयुक्त प्रयासों से अणुशक्तिनगर में स्कूल 1 के प्रांगण में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ |
इस संपन्न हुए समारोह के साथ आइये एक सुहावना सफर करते है ...
समय सुबह - 10.45 बजे
कवि कुलवंत सिंह द्वारा रचित 'माँ शारदा की वंदना' को गौरी और सिमरन ने गाया। दीप प्रज्जवलन तथा 'माँ शारदा' का माल्यार्पण।
समय सुबह - 10.50 बजे
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट महानुभावों का सम्मान ।
प्रसिद्ध ग़ज़लकार एवं कवयित्री "देवी नांगरानी" जी, जो कि न्य़ू जर्सी, अमेरिका से हैं, ने काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता के कार्यभार के लिए अपनी अनुमति सहर्ष प्रदान की ।
कवि कुलवंत ने मंच संचालन की डोर थामी | इस कार्यक्रम में अनेक प्रसिद्ध हस्तियों ने हिस्सा लिया एवं कार्यक्रम का मान बढ़ाया । कार्यक्रम में आने वाले प्रमुख कवि थे -
मरियम गजाला
समीरलाल - कनाडा से
डा. हरिहर झा - आस्ट्रेलिया से
राजीव सारस्वत
अरविंद राही
भरत शब्द वर्मा
हरनाम सिंह यादव
प्रमिला शर्मा
ऋषि कुमार मिश्र
रवि दत्त गौड़
शकुंतला शर्मा
मधुपेश मुंतजिर इंदौरी
डा. वफा
त्रिलोचन अरोड़ा
शीतल नागपुरी
मंजू गुप्ता
नंदलाल थापर
शैली
शारदा गोस्वामी
शुभकीर्ति माहेश्वरी
रमेश श्री वास्तव
विजय कुमार भटनागर
सुरिंदर रत्ती
नीरज गोस्वामी
वी डी तिवारी
रवि यादव
समय सुबह - 11 बजे
कवि और कवयित्रियों का सम्मान, परिचय और उनके द्वारा रचना पाठन |
कुछ यादगार लम्हें ...
शैली ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही सबको अपनी रचना से मत्रमुग्ध कर दिया। श्रीमती गोस्वामी ने अपनी ग़ज़ल "तमाम रातें" से सबकी वाह वाही लूटी | आस्ट्रलिया से आए हरिहर झा ने अपनी रचना से सबके मन को भिगो दिया |
मरियम आपा ने अपने मूल्यवान अशआर से सबको सम्मोहित कर दिया |
नीरज गोस्वामी ने दिल को छूने वाले शेर और ग़ज़ल सुनाई |
राजीव सारस्वत एवं अरविंद राही के गीतों ने तो समां ही बांध दिया ।
कार्यक्रम के अन्य मुख्य आकर्षक थे -त्रिलोचन अरोड़ा, डा. वफा, शुभकीर्ति माहेश्वरी, रमेश श्रीवास्तव, शिप्रा वर्मा, विजय भटनागर, इंदौरी, प्रमिला। जिनकी रचनाओं पर खूब तालियां मिलीं । रवि दत्त गौड़ जी की रचना इंसान की यात्रा के रहस्यवाद से लिपटी हुई थी ।
इस कार्यक्रम का एक और मुख्य हिस्सा थे, पहली बार कविता पाठ के लिए आने वाले नई पीढ़ी के नए तेवरो के साथ - शैली, शिप्रा वर्मा, अवनीश तिवारी, सत्यप्रकाश दुबे, महिमा बोकड़िया और साकेत चौधरी | कोई नहीMकह सकता था कि यह मंच पर पहली बार कविता पाठ कर रहे हैं। बिलकुल मंजे हुए खिलाड़ियों की तरह अपनी अपनी बात कह रहे थे यह। एक और दिल को छू लेने वाली बात थी कि शिप्रा वर्मा और महिमा तो इंटरनेट से कार्यक्रम के बारे में जान कर सीधे ही कार्यक्रम में पहुंची थीं । वाह क्या बात है.. ।
कनाडा से आए समीर लाल जी हालांकि थोड़ा विलंब से पहुंचे लेकिन अपनी बातों और रचनाओं से उन्होM सबका दिल जीता | समीर जी मंच संचालन मे भी सक्रिय रहे |
कुलवंत सिंह ने अपने देश भक्ति की रचना से सबका मन मोह लिया । हंस जी की गज़ल ने सबके दिलों को छुआ। अंत मे देवी नांगरानी ने अपनी मनमोहक ग़ज़लों को गाकर मंच की सफलता को पूर्णता प्रदान की | ४० से अधिक हिन्दी प्रेमियों ने इसमें भाग लेकर इसे सफल बनाया।
इस कार्यक्रम की एक विशेष बात यह भी रही कि बहुत से कवियों ने देश के विभिन्न हिस्सों से ही नहीं अपितु विदेशों से भी कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं ही नही भेजीं अपितु गोष्ठी से जुड़ने के प्रयास भी किए - अपने संदेश भेजकर, रचनाएं भेजकर, और कार्यक्रम के दौरान फोन कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर । बहुत ही दिल छू लेने वाले अंदाज में । इनमें प्रमुख थे - अमेरिका से प्रसिद्ध गीतकार एवं कवि द्वय श्री राकेश खंडेलवाल एवं अभिनव शुक्ल, दुबई से पूर्णिमा वर्मन (अभिव्यक्ति) ,कोयंबतूर से राजश्री, आंध्र प्रदेश से रमा द्विवेदी, औरंगाबाद से सुनीता यादव, मध्य प्रदेश से गिरीश बिलौरी, पाकिस्तान से गुल देहलवी ।
कार्यक्रम का समापन लगभग पौने तीन बजे राष्ट्रगान के साथ हुआ। तत्पश्चात भोजन एवं स्नेहपूर्ण विदाई |
इस तरह से यह सफर तय हुया |
कवि कुलवंत सिंह
Monday, January 14, 2008
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4 comments:
कुलवंत जी,सफल काव्य-गोष्टी आयोजन के लिए बहुत बहुत बधाई।
यह मेरा दुर्भाग्य ही है कि शहर में होते हुए भी मैं नहीं आ पाया
एक बहुत मनमोहक कार्यक्रम के लिये हार्दिक बधाई. आशा है आप भविष्य में भी ऐसे सुरुचिपूर्ण कार्यक्रम करते रहेंगें और इनकी रिकार्डिंग अपने ब्ल्स्स्ग प्स्र भी उपलब्ध करायेंगे
कुलवन्त जी आपको बहुत-बहुत बधाई...इच्छा तो बहुत थी की मै भी इस गौष्ठी का हिस्सा बनूँ मगर यह सम्भव न हो पाया...आशा करती हूँ आप भविष्य में भी इस तरह के आयोजन करते रहेंगे...
सुनीताशानू
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