Sunday, November 18, 2007

राम सेतु

हनुमान नही पर राम भक्त हैं
राम हमारे रोम रोम हैं ।
सच (!) कहते हैं कुछ विद्वान (?)
राम नही इतिहास में हैं !

हां, राम इतिहास नही हो सकते !
वो तो सदा बर्तमान रहे हैं ।
भूत में भी विद्यमान रहे हैं
हर इंसां के दिल में रहे हैं ।

बर्तमान में भी उनका अस्तित्व
छाप अमिट आदर्श व्यक्तित्व ।
भविष्य में भी हर पल रहेंगे
हर जीवन के पूज्य रहेंगे ।

अयोध्या, लंका, पंचवटी,
मिथिला,किषकिंधा, जनकपुर,
शबरी, अत्रि, मार्कण्डेय आश्रम,
धनुषकोटि, चित्रकूट, रामेश्वर ।

पग - पग पर मिलते राम पग
फिर भी कहते राम नही हैं ।
देख उठा कर भारत भू की
मुट्ठी भर मिट्टी यहां की ।

कण - कण में तुम्हे राम मिलेंगे;
फिर भी दिखें न राम तुम्हें तो,
आकर सीना चीर के देखो -
हर दिल में तुम्हें राम दिखेंगे ।

राम - राम जप तर गये कितने
राम बसा मन पाया स्वर्ग ।
राम रमा है अखिल जगत में
मोक्ष बस राम नाम संसर्ग ।

राम - सेतु धरोहर अपनी
क्यों न करें हम पुनरुद्धार ।
नवजीवन दे राम सेतु को
कर लें अपना भी उद्धार ।

कवि कुलवंत सिंह

7 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

कुलवंत जी ,राम सेतू पर बहुत बढिया रचना है।बधाई।

drdhabhai said...

शब्द नहीं कि कैसे इसे मैं इस कविता की प्रसंशा करूं बहुत सुंदर

Anonymous said...

acchi likhi hai
krapya mere blog par apney pad chinh chod dijiye
vikramsaxena.blogspot.com/2006/12/reversal-of-lipids-from-athrosclerotic.html -

apka bhwadiya mitr
vikram saxena

नीरज गोस्वामी said...

राम - सेतु धरोहर अपनी
क्यों न करें हम पुनरुद्धार ।
नवजीवन दे राम सेतु को
कर लें अपना भी उद्धार
नहीं कुलवंत जी नहीं.... सेतु के पुनरुद्धार से जीवन का उद्धार होना सम्भव नहीं. इसके लिए राम के आचरण को अपनाना होगा. राम के अनुसरण से नहीं उसके आदर्शों के अनुसरण से बात बनेगी. राम को स्वयं में तलाशना होगा. आप बहुत अच्छा लिखते हैं, आदर्शों और देश के लिए आप की प्रतिबध्ता स्तुत्य है.लिखते रहें.
नीरज

रंजू भाटिया said...

बर्तमान में भी उनका अस्तित्व
छाप अमिट आदर्श व्यक्तित्व ।
भविष्य में भी हर पल रहेंगे
हर जीवन के पूज्य रहेंगे ।
बहुत सुंदर कवि जी ...राम के आचरण को हम अपनाए और समझे वही सच्ची बात है
सुंदर रचना बधाई

Asha Joglekar said...

राम के अस्तित्व को नकारने वालों को राम के होने का बोध राम के आदर्शों को अपना कर ही किया जा सकता है। सुंदर रचना के लिये बधाई ।

Madhu said...

हिन्दि मे खोज!
http://www.yanthram.com/hi/

हिन्दि खोज अपका सैटु के लिये!
http://hindiyanthram.blogspot.com/

हिन्दि खोज आपका गुगुल पहेला पेजि के लिये!
http://www.google.com/ig/adde?hl=en&moduleurl=http://hosting.gmodules.com/ig/gadgets/file/112207795736904815567/hindi-yanthram.xml&source=imag