जीवन एक है,
प्रश्न अनेक हैं,
दुनिया चल रही है,
चलती रहेगी यूँ ही।
इन प्रश्नों को लेकिन सुलझाएगा कौन ?
.
प्रश्न एक है,
समाधान अनेक हैं,
दुनिया व्यस्त है,
अपने आप में मस्त है।
उचित समाधान लेकिन बताएगा कौन ?
.
समाधान एक है,
सत्य भी एक है,
उद्देश्य भी एक है,
राह भी एक है।
लेकिन इस राह पर चल कर दिखाएगा कौन ?
.
कवि कुलवंत सिंह
Monday, June 4, 2007
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7 comments:
बहुत ही सुन्दर और गहरी रचना।
समाधान एक है,
सत्य भी एक है,
उद्देश्य भी एक है,
राह भी एक है।
लेकिन इस राह पर चल कर दिखाएगा कौन ?
बधाई आपको..
*** राजीव रंजन प्रसाद
समाधान एक है,
सत्य भी एक है,
उद्देश्य भी एक है,
राह भी एक है।
ये राह सबसे आसान है .
आप आप चलना शुरु करे कारवा अपने आप आएगा
Wah wah
Umesh Tambi
कुलवंतजी
बहुत बढ़िया कविता....
चन्द्रकांत जोशी
मुंबई
www.hindimedia.in/
बौत सोणा लिखेया है तुसी वीर जी,
लाखों हैं सवाल मगर मिलता नही जवाव
क्यों फ़ल्सफ़े की वातें करता है आदमी
बढ़िया है. अब जब प्रश्न उठाया है तो चलना शुरु करें, सबको साथ पायेंगे.
बहुत खूब कुलवंत जी,
इस कविता के माध्यम से आपने हम सबके मन मे चल रहे विचार मंथन को शब्दाकार दे दिया है।
बधाई सुंदर व प्रासंगिक रचना के लिए।
आभार व शुभकामनाएं
Sanjeet
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