Friday, May 14, 2010

माहिये

माहिये

1. साजन कब आयेंगे
देख रही कबसे
हम पलकें बिछायेंगे .

2. है प्यार बसा आँचल
छाँव है माँ ममता
दुनिया से बचा ले हर पल .


3. जब से है तुझे देखा
दिल न रहा अपना
सांसों ने दिया धोखा .

4. है भाग रही दुनिया
धन के लिये पागल
भूली अपनी मुनिया .

5. रिश्तों की जला होली
नाच रहा नंगा
अपनों पे चला गोली .

6. आँसू न बहा अपने
कौन भला पोंछे
माँ, बाप नही अपने .

7. अनमोल हैं यह मोती
यूँ न बहा आँसू
हर बात पे क्यों रोती .

8. करना न भरोसा तुम
अक्श भी है झूठा
उल्टे का है सीधा भ्रम .

9. वर्षा ऋतु जब आती
छम छम जल लाती
तन मन को भिगो जाती .

10. सावन में पड़े झूले
आ के बढ़ा पींगें
सब मिल के फलें फूलें .

11. लहरें वो जो आयी थीं
खत्म किया सब कुछ
कहते हैं सुनामी थीं

12. चालें चल जाते हैं
डेढ़ सयाने जो
सीधों को हराते हैं

13. सपनों को सजाते हैं
दिल में छुपा के दुख
हर पल मुसकाते हैं

14. राधा के हैं वो कान्हा
सुर बिखरे मीठे
धुन मुरली बजा जाना

15. दुनिया में किया हर छल
पाप भरा मटका
दुख झेल रहा प्रतिपल

2 comments:

समयचक्र said...

साजन कब आयेंगे
देख रही कबसे
हम पलकें बिछायेंगे .

काफी दिनों बाद आपकी मनभावन कविता पढ़ने मिली ...आभार

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है! बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएँ है!