tag:blogger.com,1999:blog-2167187532784799705.post5026512516655856061..comments2023-10-16T08:38:54.026-07:00Comments on गीत सुनहरे: इस गवार कोKavi Kulwanthttp://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2167187532784799705.post-39714829065090830152007-12-16T00:02:00.000-08:002007-12-16T00:02:00.000-08:00गर नहीं तो इस गँवार को मूर्ख ही बतला दोइतनी सार्थक...गर नहीं तो इस गँवार को मूर्ख ही बतला दो<BR/>इतनी सार्थक बातें लिखने वाले को कोई कैसे गंवार और मूर्ख कह सकता है? आप की शब्दों पर पकड़ और आस पास होने वाली घटनाओं पर नज़र लाजवाब है. बहुत अच्छी रचना. मेरी बधाई स्वीकार करें.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2167187532784799705.post-5450377461165919642007-12-13T20:08:00.000-08:002007-12-13T20:08:00.000-08:00आज के सच को बताती एक मार्मिक कविता लिखी है आपने कव...आज के सच को बताती एक मार्मिक कविता लिखी है आपने कवि जी ..<BR/>पढ़ के कभी आक्रोश ,कभी लाचारी के भाव उमड़ आते हैं दिल में <BR/>शुभकामना <BR/>रंजूरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com